जेबकतरों को फांसी नहीं दे सकते

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। लोकसभा से कांग्रेस के सात सांसदों के निलंबन का मामला दिनोंदिन तूल पकड़ता जा रहा है। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को अपनी पार्टी के इन सांसदों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी आलोचना की जा रही है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जेबकटुवा को फांसी के तख्ते पर नहीं चढ़ाया जा सकता है। चौधरी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के सदस्य आसन यानी लोकसभा अध्‍यक्ष को 'पोप ऑफ द वेटिकन' की तरह सम्मान देते हैं। हमारी पार्टी के सांसदों ने कभी भी आसन का अनादर नहीं किया है।  


चौधरी ने कहा कि पार्टी के सात सांसदों को एक साथ बाकी सत्र के लिए निलंबित किए जाने की कोई भी ठोस वजह नजर नहीं आती है। प्रदर्शन में अन्य विपक्षी सदस्य भी शामिल थे लेकिन किस आधार पर कांग्रेस के सातों सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। कांग्रेस नेता ने कहा, 'जेबकटुवा को फांसी के तख्त पर नहीं चढ़ाया जा सकता है।' चौधरी के इस बयान पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि निलंबित सदस्यों की तुलना जेबकतरों से करना किसी भी लिहाज से उचित नहीं लग रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इस बयान से सहमत नहीं हैं।


प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों के निलंबन को उचित ठहराया और कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी सदस्यों को आसन का अनादर करने वाली बात से रोकते थे। जोशी ने कांग्रेस को यूपीए सरकार का कार्यकाल भी याद दिलाया। भाजपा नेता ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में भाजपा के 45 सदस्यों को सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। जोशी ने कहा कि साल 2007 से 2010 के बीच कांग्रेस की अगुवाई वाली ने हंगामे के बीच 18 विधेयक पारित कराए थे। 


संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने कहा कि सदन के बीते 70 वर्षों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं देखा गया कि सदस्‍यों ने आसन से कागज छीनकर उसे उछाला हो। हम कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान से सहमत नहीं हैं। उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस के सात लोकसभा सांसदों को बृहस्पतिवार को आसन से कुछ कागज छीनने और फाड़कर उछालने के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। सांसदों पर सदन का अपमान करने के आरोप लगे थे। बता दें कि बीते दो मार्च से ही संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। विपक्षी दल के सदस्‍य दिल्‍ली हिंसा के मसले पर चर्चा की मांग कर रहे हैं जबकि आसन बाद में चर्चा कराने की बात कह रहा है। 


 


Posted By: Krishna Bihari Singh